
28 मई को cruxnow.com से बात करते हुए चापुत बताते हैं कि प्रोटेस्टेंट कम्युनियन के लिए जर्मन प्रस्ताव बहुत अधिक दाँव पर लगाता है: चर्च की पहचान, संस्कारों का अर्थ, या वास्तविक उपस्थिति की प्रकृति।
एक बार प्रोटेस्टेंट कम्युनियन की ओर पहला कदम बढाया जाता है तब "इंटरकम्युनियन को बढ़ाने के लिए दबाव स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगा, तथा इसका विरोध करने के लिए कारण और विश्वसनीयता कम हो जाएँगी"।
चापुत कहते हैं, " जो जर्मनी में होता है वह जर्मनी में नहीं बना रहेगा।"
चित्र: Charles Chaput, © HazteOir.org, CC BY-SA, #newsXctffygjjp